Wednesday 9 September 2015

राहुल बजाज ने कहा, मोदी सरकार की नीति साफ नहीं दिख रही

नई दिल्ली: प्रसिद्ध उद्योगपति राहुल बजाज ने आज मोदी सरकार की यह कहते हुये आलोचना की कि वह आर्थिक सुधारों के बारे में परस्पर विरोधी संकेत दे रही है। उन्होंने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी को कांग्रेस की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाने का सुझाव दिया ताकि संसद में गतिरोध खत्म हो।
बजाज ने यहां एक सम्मेलन के दौरान सरकार और विपक्ष के बीच तनाव को आपातकाल के दिनों से भी बुरा बताया और कहा कि भाजपा को अपनी ओर से थोड़ा बढ़कर आगे जाना चाहिये और कांग्रेस को भी दोस्ती कबूल करनी चाहिये ताकि वह उन मतों को गंवाने से बचा सके जो उसे पिछले चुनाव में मिले थे।
राहुल बजाज बजाज आटो कंपनी के चेयरमैन हैं, वह अपनी बेलाग बातों के लिये जाने जाते हैं और वह आज यहां इकोनोमिस्ट इंडिया सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार जब से सत्ता में आई है सुधारों के बारे में परस्पर विरोधी संकेत दे रही है। बजाज ने कहा- एक तरफ वह कहते हैं कि वे सुधार में लगे हैं, आप सुधारों के मामले में धमाका क्यों चाहते हो? जबकि दूसरी तरफ, उनका कहना है उनकी नई सरकार का हनीमून 100 दिन नहीं, छह महीने नहीं बल्कि एक साल का है। उन्होंने यह भी कहा कि वित्त मंत्री कहते हैं कि 15 महीने में आप जादू की छड़ी की उम्मीद नहीं कर सकते हो, चूंकि ऊपरी सदन काम नहीं कर रहा है और यूनियंस झंडा खड़ा कर देंगे लेकिन 1991 में तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने एक ही साल में वह काम कर दिया था।
बजाज ने कहा जीएसटी सहित प्रमुख आर्थिक सुधार तब तक आगे नहीं बढ़ेंगे जब तक कि दोनों पार्टियां समझौता नहीं कर लेतीं हैं। इसे (जीएसटी)को लोकसभा और राज्यसभा दोनों को पारित करना होगा। जब तक कांग्रेस इसकी अनुमति नहीं देती यह पारित नहीं होगा। यह केवल एक उम्मीद हो सकती है कि ज्यादातर विपक्षी दल विधेयक के समर्थन में आ जायेंगे। उन्होंने भाजपा और कांग्रेस दोनों के व्यवहार की आलोचना करते हुये कहा कि उन्हें नहीं मालूम कि उन्हें क्या करना है, जो सबसे बुनियादी बात है, दोनों की जवाबदेही है। बजाज ने कहा कि कांग्रेस और भाजपा, सरकार और कांग्रेस के बीच रिश्ते काफी खराब हो गये हैं उनके बीच तनाव 1975-77 के आपातकाल से भी ज्यादा खराब हो गया है। उन्होंने दोनों के बीच सुलह सफाई का सुझाव देते हुये कहा कि मेरा मानना है कि सत्तापक्ष को आगे बढ़कर दोस्ती और सहयोग का हाथ बढ़ाना चाहिये तथा कांग्रेस को इसे स्वीकार करना चाहिये। अन्यथा उन्हें वह मत भी नहीं मिलेंगे जो उन्हें पिछले चुनाव में मिले।

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