Thursday 24 September 2015

मुजफ्फरनगर दंगा जांच रिपोर्ट : आरोपों का सिलसिला शुरू, भाजपा और बसपा ने सत्ताधारी सपा को घेरा

मायवती ने कहा- रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाए 

हम से तो कोई बात ही नहीं का आयोग नेः संगीत सोम 
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुजफ्फनगर में दो साल पहले हुए साम्प्रदायिक दंगों की न्यायिक जांच रिपोर्ट राज्यपाल को सौंपे जाने के बाद सियासी पार्टियों के बीच एक-दूसरे पर दोषारोपण का दौर फिर शुरू हो गया है। भारतीय जनता पार्टी तथा बहुजन समाज पार्टी ने इन फसाद के लिये सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी पर निशाना साधा है।
मुजफ्फरनगर दंगों के आरोपी भाजपा विधायक संगीत सोम ने फसादात की जांच के लिये राज्य सरकार द्वारा गठित अवकाश प्राप्त न्यायाधीश विष्णु सहाय आयोग के कल राज्यपाल राम नाईक को अपनी रिपोर्ट सौंपे जाने के बारे में संवाददाताओं से कहा- मैं बस यह जानना चाहता हूं कि जांच आयोग ने हमसे कोई बात क्यों नहीं की। क्या आयोग ने हमें जांच का हिस्सा बनाया। हमारे पास जो पुख्ता प्रमाण हैं कि सपा नेताओं और अधिकारियों ने दंगे कराये थे, वे प्रमाण भी हमसे नहीं लिये गये। मुझे नहीं लगता कि रिपोर्ट का कोई औचित्य है।
भाजपा के प्रान्तीय अध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने कहा कि मुजफ्फरनगर दंगों में भाजपा की कोई भूमिका नहीं है और इसके लिये सपा पूरी तरह जिम्मेदार है। उन्होंने कहा मैंने रिपोर्ट नहीं पढ़ी है लेकिन हमें पता है कि घटनाक्रम को प्रारम्भ करने में सपा का हाथ साबित होगा, हमारे पास इसके पर्याप्त प्रमाण हैं। इस बीच, बसपा मुखिया मायावती ने विष्णु सहाय आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने तथा दंगे करवाने में शामिल रहे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने एक बयान में कहा कि वैसे तो समाजवादी पार्टी की सभी हुकूमतों के दौरान उत्तर प्रदेश में भीषण साम्प्रदायिक दंगे होते रहे हैं लेकिन मुजफ्फरनगर में हुए दंगों में सरकार की घोर लापरवाही सामने आयी है। मायावती ने कहा कि दंगों की वजह से बड़ी संख्या में मुसलमान बेघर हो गये और सपा सरकार ने शासकीय जमीन पर रह रहे विस्थापित लोगों के तम्बुओं पर बुल्डोजर चलवा दिया।
सपा प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने दंगों के लिये भाजपा को दोषी ठहराते हुए कहा कि साम्प्रदायिक शक्तियां प्रदेश का माहौल बिगाडऩा चाहती हैं। साढ़े तीन साल से भाजपा साम्प्रदायिकता फैलाना चाहती है। मुजफ्फरनगर में जो हुआ वह इसी का नतीजा था। उन्होंने कहा कि मुजफ्फरनगर के अलावा मथुरा और फैजाबाद में भी भाजपा ने साम्प्रदायिक वारदात करायीं। राज्य में समाजवादी सरकार है और मुख्यमंत्री का संकल्प है कि वह साम्प्रदायिकता को नहीं पनपने देंगे। राज्य सरकार की नीयत बिल्कुल साफ है। वह कानून-व्यवस्था को हर हाल में बनाये रखने के लिये संकल्पबद्ध है। चौधरी ने कहा कि उन्हें जांच रिपोर्ट में उजागर तथ्यों के बारे में पता नहीं है। जब राज्य सरकार के पास रिपोर्ट आयेगी तब उसका अध्ययन करके समुचित कार्रवाई की जाएगी।
अगस्त-सितम्बर 2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगों की जांच के लिये सरकार द्वारा नौ सितम्बर 2013 को गठित एक सदस्यीय विष्णु सहाय न्यायिक जांच आयोग ने कल अपनी रिपोर्ट राज्यपाल राम नाईक को सौंप दी। इन दंगों में 60 से ज्यादा लोग मारे गये थे, 100 से ज्यादा घायल हुए थे और 40 हजार से ज्यादा बेघर हो गये थे। न्यायमूर्ति सहाय ने संवाददाताओं से कहा, मैंने छह खण्डों में 775 पन्नों की जांच रिपोर्ट सौंप दी है। पहले खण्ड में भूमिका है, अगले खण्डों में आम जनता तथा अधिकारियों के बयान, दंगों के कारण, भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा ना होने देने के लिये सुझाव इत्यादि शामिल हैं। सहाय ने बताया कि रिपोर्ट तैयार करने से पहले उन्होंने तत्कालीन पुलिस महानिदेशक देवराज नागर समेत 101 अधिकारियों तथा 377 अन्य लोगों ने बयान लिये। इस रिपोर्ट को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के पास भेजा जाएगा, जो उसे विधानसभा में पेश करेंगे।
विष्णु सहाय आयोग को कई बार अवधि विस्तार दिया गया था। राज्य सरकार ने आयोग से कहा था कि वह 27 अगस्त 2013 को मुजफ्फरनगर के कवाल गांव में छेड़छाड़ को लेकर दो समुदायों के बीच हुए हिंसक टकराव और उसके बाद मुजफ्फरनगर तथा आसपास के कई जिलों में हुए दंगों के समूचे प्रकरण की जांच करके दो महीने के अंदर अपनी रिपोर्ट दे। वह मियाद खत्म होने के बाद आयोग के कार्यकाल को और बढ़ा दिया गया था। आयोग से यह भी कहा गया था कि वह मुजफ्फरनगर तथा उसके आसपास के कुछ जिलों में हुए दंगों को रोकने में प्रशासन की लापरवाही की आशंका की भी जांच करे।
मायावती ने अपने बयान में आरोप लगाया कि जांच आयोग की रिपोर्ट पर किसी भी तरह की प्रतिक्रिया तो उसके सार्वजनिक होने पर ही दी जा सकती है लेकिन दंगा पीडि़तों को न्याय मिलेगा, या नहीं, यह तो सरकार की नीयत पर निर्भर करेगा, लेकिन जैसी सरकार की कारगुजारियां हैं उन्हें देखते हुए दोषियों को दण्ड मिलना मुश्किल ही लगता है। उन्होंने आरोप लगाया कि मुजफ्फरनगर दंगों के मामले में प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश ने देखा कि राज्य सरकार किस तरह भाजपा के दंगाइयों के प्रति काफी नरम रख अपनाये थी और वह आरोपियों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून की तामील भी गम्भीरतापूर्वक नहीं करा पायी थी। इसकी वजह से मुख्य आरोपी जेल से छूट गये थे और उनमें से कुछ तो बड़े सरकारी पदों पर भी आसीन हो गये थे। मायावती ने कहा कि ऐसे में सपा और भाजपा सरकारों से निष्पक्ष जांच और दोषियों को सजा दिलाने की उम्मीद कैसे की जा सकती है।

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