Saturday 26 September 2015

Full Report: जी 4 ने किया सुयंक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में स्थाई सीट का दावा

मोदी की अध्यक्षता में भारत, जापान, जर्मनी और ब्राजील ने बुलंद की आवाज


न्यूयार्क: भारत, जापान, जर्मनी और ब्राजील ने संयुक्त राष्ट्र सुधार की अपनी मुहिम तेज करते हुए आज अपने आप को सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता का जायज़ उम्मीदवार बताया और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस कार्य को एक निश्चित समयसीमा के भीतर तुरंत पूरा करने पर जोर दिया।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत को स्थायी सदस्य बनाये जाने की मजबूत पैरवी को आगे बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि संयुक्त राष्ट्र में नियत समयसीमा के भीतर सुधार करके सुरक्षा परिषद में विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्रों, वैश्विक अर्थव्यवस्था के बड़े इंजनों और सभी बड़े महाद्वीपों की आवाजों को शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इससे इस विश्व संस्था की विश्वसनीयता और औचित्य बढेगा। समूह चार की बैठक में प्रधानमंत्री ने कहा कि इस दिशा में दस्तावेज आधारित वार्ता की शुरूआत महत्वपूर्ण पहला कदम है लेकिन संयुक्त राष्ट्र महासभा के 70वें अधिवेशन में इसे तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचाया जाए। उन्होंने कहा कि जब संयुक्त राष्ट्र का जन्म हुआ था, उससे अब हम बुनियादी रूप से भिन्न विश्व में रह रहे हैं जिसमें जटिल और अपरिभाषित चुनौतियों का सामना किया जा रहा है जिनमें जलवायु परिवर्तन और आतंकवाद प्रमुख है। प्रधानमंत्री ने सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के बड़े दावेदारों जापान, जर्मनी, ब्राजील और भारत की सदस्यता वाले जी चार की बैठक की अध्यक्षता करते हुए यह आह्वान किया और कहा कि हमारे संस्थान खासकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद उस शताब्दी की सोच को प्रतिबिंबित करते हैं जिसे हम पीछे छोड़ चुके हैं, न कि उस शताब्दी की जिसमें हम रह रहे हैं। मोदी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सुधार का विषय दशकों से वैश्विक विचार का केंद्र रहा है लेकिन दुर्भाग्यवश बिना किसी प्रगति के। जी4 के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि चार देशों का हमारा समूह 2004 में साथ आया जो वैश्विक शांति और समृद्धि, बहुलवाद में हमारी आस्था और विश्व की उम्मीदों के अनुरूप हमारी वैश्विक जिम्मेदारियों को पूरा करने की हमारी इच्छा की साझी प्रतिबद्धता से बंधा हुआ है।

बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में समूह 4 के नेताओं ने सुरक्षा परिषद को अधिक प्रतिनिधित्व वाली, जायज़ और प्रभावकारी बनाने पर जोर देते हुए कहा कि हाल के वर्षो में फैल रहे वैश्विक संघर्षो और संकटों को देखते हुए आज ऐसा किये जाने की पहले से अधिक जरूरत है। बयान में इस बात पर जोर दिया गया कि सुरक्षा परिषद में सुधार के बारे में संयुक्त राष्ट्र में चल रही प्रक्रिया को तय समयसीमा के भीतर पूरा किया जाना चाहिए। नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि जी4 के देश विस्तारित और सुधार के बाद बनने वाली परिषद में स्थायी सदस्यता के जायज़ उम्मीदवार हैं और साथ ही इस उम्मीदवारी के लिए एक दूसरे का समर्थन किया। जी4 ने इस बात पर चिंता जताई कि 2005 में हुए वैश्विक सम्मेलन के बाद से कोई ठोस प्रगति नहीं हुई है जबकि उसमें सभी राष्ट्राध्यक्षों और सरकारों ने सर्वसम्मति से संयुक्त राष्ट्र में सुधार लाने के आवश्यक तत्व के रूप में सुरक्षा परिषद में जल्द सुधार का समर्थन किया था। 11 वर्ष पहले बने इस समूह के नेताओं ने अपने देशों को सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनाये जाने की मुहिम को मिलकर आगे बढ़ाते हुए महासभा के 70वें अधिवेशन में इस बारे में ठोस नतीजों को पाने के लिए अपने प्रयासों को दोगुना करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की। इन चार देशों ने प्रण किया कि वे सभी अन्य सदस्य देशों के साथ मिलकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में 'जल्द और अर्थपूर्ण सुधार’ हासिल करने के प्रयासों को तेज करेंगे। 



संयुक्त बयान में कहा गया है कि वे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई और अस्थाई दोनों श्रेणियों में अफ्रीका के प्रतिनिधित्व का समर्थन करते हैं। साथ ही इन्होंने विस्तारित और सुधार के बाद बनने वाली सुरक्षा परिषद में छोटे और मध्यम देशों जिनमें छोटे द्वीप देश शामिल हैं, को उचित प्रतिनिधित्व देने की भी हिमायत की।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने ट्वीट किया कि जी4 ने गति पायी है और जापान, जर्मनी ब्राजील और भारत के नेता संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की जरूरत पर ध्यान केंद्रित कर पा रहे हैं। बैठक में ब्राजील के राष्ट्रपति दिल्मा रूसेफ, जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल और जापान के प्रधानमंत्री शिजो एबे ने भी अपने विचार रखे । जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने अपनी टिप्पणी में कहा कि जी4 कोई 'विशिष्ट समूह’ नहीं है और यह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार को सुनिश्चित करने के लिए अन्य लोगों को साथ लेकर चलने में विश्वास करता है। जापान के प्रधानमंत्री शिंजो एबे ने इस बैठक को 'सुनहरा अवसर’ करार देते हुए कहा कि परिवर्तन के लिए जबर्दस्त गति मिली है और बड़े देशों की आवाजों को सुना जाना चाहिए। ब्राजील की रूसेफ ने भी विश्व संस्था में तुरंत सुधार की जरूरत को रेखांकित किया।



 

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