Wednesday 17 June 2015

चिदंबरम ने किए सारे आरोप खारिज, कहा- एनडीए सरकार कागजात जाहिर करे

चेन्नई: ललित मोदी की मदद करने के मामले में सुषमा स्वराज व वसुंधरा राजे सिंधिया के नाम आ जाने के बाद अब प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस व भाजपा आमने-सामने आ गए हैं। आरोप-प्रत्यारोप का जुबानी जंग और तेज हो गई। ललित मोदी द्वारा टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में अपना नाम ले लिए जाने से तिलमिलाए पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने खुद पर और पूर्ववर्ती यूपीए सरकार पर लगाए गए आरोपों को खारिज करते हुए बुधवार को कहा कि सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए कि ललित मोदी धनशोधन समेत विभिन्न आरोपों का सामना करने भारत लौटें।


चिदंबरम ने इस बारे में ट्वीट करने के अलावा एक संवाददाता सम्मेलन को भी संबोधित किया। पीसी ने कहा कि आईपीएल के पूर्व दागी बॉस को ब्रिटेन से यात्रा दस्तावेज पाने में मदद करने की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की कार्रवाई नियमों का उल्लंघन है और अपने जानकार की तरफदारी करने का मामला है। पूर्व वित्त मंत्री ने यह बताने की मांग की कि पिछले साल मोदी का दस्तावेज बहाल करने के उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती नहीं देने का फैसला किसने किया क्योंकि सामान्य रूप से पलटने वाले फैसले को हमेशा उच्चतर न्यायालय में चुनौती दी जाती है।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि सरकार संप्रग के शासनकाल के दौरान ललित मोदी मामले पर वित्त मंत्री के बतौर उनके और ब्रिटिश चांसलर ऑफ एक्सचेकर के बीच के पत्राचार जारी करे जिनमें उन्होंने मोदी को वापस भारत भेजने का आग्रह किया था क्योंकि वह यहां आपराधिक मामलों का सामना कर रहे थे। चिदंबरम ने कहा कि उनके पहले पत्र के जवाब के बाद उन्होंने कठोर शब्दों का इस्तेमाल करते हुए ओस्बोर्न को एक दूसरा पत्र लिखा कि मोदी भारत में जांच का सामना कर रहे हैं, भारत में उनका पासपोर्ट निरस्त कर दिया गया है, उन्हें ब्रिटेन में रहने का कोई अधिकार नहीं है और उन्हें वापस भारत भेजा जाना चाहिए। उन्होंने सवाल किया कि अगर सुषमा मानवीय आधार पर मोदी की मदद करना चाहती थीं, जैसा कि दावा किया जा रहा है, तो उन्होंने क्यों भारतीय उच्चायोग को पत्र नहीं लिखा और उनसे ब्रिटिश यात्रा दस्तावेज जारी करने की सिफारिश के बजाय भारतीय यात्रा दस्तावेज जारी करने के लिए क्यों नहीं कहा।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने विदेश मंत्रालय की फाइल नोटिंग प्रकट करने की मांग की जिसने उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपील नहीं करने का फैसला किया। पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि किसी ने फैसला किया है और मैं जानना चाहूंगा कि किसने फैसला किया है। उन्होंने कहा कि जब उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने ललित मोदी का पासपोर्ट रद्द करने को निरस्त किया तो किसने उच्चतम न्यायालय में कोई अपील दायर नहीं करने का फैसला किया। ईडी के कहने पर पासपोर्ट रद्द किया गया था। क्या इस मामले में उससे राय ली गई। साथ ही, किसने ललित मोदी को ताजा पासपोर्ट जारी करने का फैसला किया। क्या सरकार फाइल नोट सार्वजनिक करेगी?
चिदंबरम ने कहा कि मोदी भारतीय पासपोर्ट धारी थे और बिना किसी वीजा के लंदन में उनका प्रवास सभी नियम-कायदों का उल्लंघन था और यह उन आधारों में से एक था जिसपर उनकी वापसी की मांग की गई थी। चिदंबरम ने सवाल किया कि जब वह भारत में गंभीर आपराधिक आरोप का सामना कर रहे थे तो सुषमा ने क्यों उनके लिए दीर्घकालीन वीजा या ब्रिटेन में रेजिडेंसी पाने में उनकी मदद की।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि अगर यह मानवीय आधार का सवाल था तो क्यों उन्होंने यात्रा दस्तावेज हासिल करने में उनकी मदद करते हुए आरोपों का सामना करने के लिए मोदी के भारत लौटने पर जोर नहीं दिया। यह साफ तौर पर अधिकारों के दुरूपयोग और नियम-कायदों के उल्लंघन का मामला है। पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि 'फेमाÓ और धन शोधन अधिनियम के प्रावधानों के तहत मोदी के खिलाफ गंभीर आपराधिक आरोप लगाए गए हैं। प्रतिशोध के आरोपों पर चिदंबरम ने कहा कि वित्त मंत्री का कल का यह जवाब कि 16 में से 15 मामले अब भी कायम हैं, खुद सब कुछ कह देता है। उनसे जब पूछा गया कि क्यों मोदी को 2010 में भारत से जाने से नहीं रोका गया तो पूर्व वित्तमंत्री ने कहा कि उस वक्त उनकी यात्रा पर कोई प्रतिबंध नहीं था और यह सिर्फ जांच का चरण था। आप कैसे मान ले सकते हैं कि वह नहीं लौटेंगे।

चिदंबरम से जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की चुप्पी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने जेतली के कल के जवाब का जिक्र किया कि किसी मंत्री के फैसले की सामूहिक जिम्मेदारी पूरी सरकार लेती है और कहा कि मैं मानता हूं कि प्रधानमंत्री पीएम के रूप में जिम्मेदारी लेते हैं। अन्य सवालों के जवाब में उन्होंने कहा कि अभी तक प्रकट तथ्यों के आधार पर यह प्राधिकार का दुरूपयोग और नियम-कायदों का उल्लंघन है। सुषमा के समर्थन में आरएसएस के आने के बाद भाजपा की ओर से विदेशमंत्री के बचाव के बारे में एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह दिखाता है कि कौन आका है। चिदंबरम से जब भाजपा के इस आरोप के बारे में पूछा गया कि कांग्रेस ने ये मुद्दे इसलिए उठाए हैं क्योंकि यह महिला नेता हैं तो उन्होंने कहा कि यह बेहूदा आरोप है। उन्होंने पत्रकारों से कहा कि वे इस तरह के आरोपों को प्रतिष्ठा प्रदान नहीं करें।
पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि एक तरह से वित्त मंत्री अरूण जेतली ने यह पुष्टि करते हुए आरोपों को खत्म कर दिया कि ईडी वास्तव में ललित मोदी के खिलाफ 16 मामलों की जांच कर रहा था और उन 16 मामलों में से 15 में उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया था। बहरहाल, मामला यहीं खत्म नहीं होता।

चिदंबरम ने उठाए सवाल

- जब ललित मोदी का पासपोर्ट रद्द था और वह ईडी की जांच से बच रहे थे तो उन्हें यात्रा दस्तावेज जारी करने में मदद करने का विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का कदम ढेर सारे अहम सवाल खड़े करता है।

- कोई पासपोर्ट किसी अन्य देश की यात्रा करने का दस्तावेज है और वहां प्रवास करने के लिए किसी को उस देश से वीजा या परमिट की जरूरत होती है। क्या भारत सरकार ने ललित मोदी को दीर्घकालीन वीजा या रेजिडेंसी परमिट प्रदान करने पर ब्रिटेन सरकार के समक्ष अपनी आपत्ति पेश की जिन्होंने ईडी के समक्ष पेश होने से इनकार कर दिया है।

- ललित मोदी के पास अब भारतीय पासपोर्ट है। वह भारतीय कानून के अधीन एक भारतीय नागरिक हैं। ताजा पासपोर्ट जारी होने के बाद सरकार ने ईडी की ओर से जारी समन की तामील कराने के लिए क्या कदम उठाए?

-क्या सरकार के पास ललित मोदी के इन उटपटांग आरोपों का कोई जवाब है कि अगर वह भारत लौटते हैं तो उनकी जान को खतरा है? क्या राजग सरकार किसी ऐसे भारतीय नागरिक की सुरक्षा करने में अक्षम है जिसे ईडी की जांच के लिए पेश होना है?

-पिछले साल मोदी का दस्तावेज बहाल करने के उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती नहीं देने का फैसला किसने किया क्योंकि सामान्य रूप से पलटने वाले फैसले को हमेशा उच्चतर न्यायालय में चुनौती दी जाती है।



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