Tuesday 23 June 2015

हाईस्पीड रेल गाडिय़ों के लिए आबादी से अलग बनेंगे नए कॉरिडोर

नई दिल्ली: पीएम नरेंद्र मोदी की हाईस्पीड ट्रेन योजना को साकार करने के लिए विदेशों की तर्ज पर काम किया जाएगा। वर्तमान ट्रैकों पर ये ट्रेन दौड़ाना संभव नहीं है और इसलिए अलग से कोरिडोर बनाकर काम किया जाएगा। 300-350 किमी की रफ्तार से चलने वाली ट्रेने बिना किसी बाधा के इस पर दौड़ सकेंगी।
इसके लिए रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने हाईस्पीड रेलगाडिय़ों की महत्वाकांक्षी योजना को मूर्त रूप देने के लिए पृथक कॉरिडोर बनाने की तैयारियों पर काम करना आंरभ कर दिया है। मोदी सरकार के पहले रेल बजट में इस काम को भारतीय शहरों की आर्थिक ग्रोथ और रोजगार के नए अवसरों की महत्वाकांक्षी योजनाओं के एक अहम लक्ष्य के तौर पर लिया गया था। सुपर फास्ट ट्रेनों की शुरुआत को पीएम मोदी के ड्रीम परियोजनाओं में शामिल किया गया है।
विशेषज्ञों की सलाह के बाद रेलवे इस बात पर सहमत हो गया है कि 300 से 350 प्रति घंटे की रफ्तार वाली ट्रेनों के लिए अलग से कॉरिडोर होने आवश्यक इसलिए हैं ताकि कई क्षेत्रों में आनी वाली गांवों बस्तियों के साथ जानवरों के लिए कम से कम खतरा रहे। रेलवे ने हाईस्पीड रेल कॉरपोरेशन की पहले ही स्थापना कर दी है। रेलवे के मौजूदा मार्गों के ईदगिर्द ही हाईस्पीड रेलों का रास्ता बनाने की योजना को इंजीनियरों ने इस आधार पर खारिज कर दिया है कि क्योंकि इससे शहरी क्षेत्रों के आसपास योजना के अनुरूप स्पीड बहुत ही धीमी हो जाएगी। दूसरी ओर मौजूदा रेल मार्गों में ज्यादातर जगहों पर समानांतर मार्ग के लिए कोई जगह नहीं बची है। घनी आबादी वाले क्षेत्रों में अगर कोरिडोर बनाने की नौबत आई तो इससे बड़ी तादाद में लोगों को विस्थापित करने की नौबत खड़ी होने के साथ भूमि अधिग्रहण करने में नई अड़चने पैदा होंगी।
रेल मंत्री ने पीएम मोदी से परामर्श मिलने के बाद ऐसे कोरिडोर बनाने में लागत व वक्त बचत का खाका तैयार किया है। दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकात्ता दिल्ली के बीच प्रस्तावित सुपर फास्ट रेल मार्ग को डायमंड चतुर्भुज योजना का नाम दिया है जबकि छह दूसरे मार्गों को तकनीकी स्टडी के लिए चिह्नित किया गया है। ये हैं दिल्ली-मुंबई-अहमदाबाद, दिल्ली-आगरा-वाराणसी-पटना, दिल्ली-चंडीगढ-अमृतसर, हैदराबाद-काजीपेट-विजयवाड़ा-चेन्नई, हावड़ा-हल्दिया, चेन्नई-बंगलूर-कोंयबटूर, कोची-चेन्नई-तिरुअनंतपुरम।
इसके लिए विशेषज्ञों ने हाईस्पीड रेलों के लिए जापान, फ्रांस,चीन,जर्मनी और दूसरे मुल्कों में बनाए गए अलग कोरिडोर व्यवस्था की गहराई से अध्ययन करने के बाद अलग कोरिडोर को ही भारत के लिए सबसे ज्यादा मुफीद व दीर्घकालिक विकल्प माना है। गौरतलब है कि रेलों की गति बढाने की घोषणाएं पिछले दो दशक से लगातार हो रही हैं लेकिन असल में इन बातो पर अमलीजामा पहनाने में कई तरह की दिक्कतें और खतरे सामने आने के बाद सरकार के पास अलग कोरिडोर बनाने की दिशा के लिए अलावा कोई विकल्प नहीं है।

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