Thursday 25 June 2015

अमित शाह बोले, वंशवाद वाले दलों के शासन में आपातकाल संभव

नई दिल्ली: कांग्रेस पर हमला बोलते हुए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने आज कहा कि जब तक वंशवाद से संचालित पार्टियों के देश में शासन की गुंजाइश रहती है तब तक आपातकाल की आशंका को नकारा नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि तानाशाही मानसिकता से चलाई जाने वाली पार्टियां ही आपातकाल के बारे में सोच सकती हैं। उन्होंने लोगों से कहा कि यदि उन्हें इस तरह के परिदृश्य को फिर से टालना है तो उन्हें किसी व्यक्ति के बजाय विचारधारा को वोट देना चाहिए।
आपातकाल लगाये जाने के 40 वर्ष होने पर श्यामा प्रसाद मुखर्जी रिसर्च फाउंडेशन द्वारा आयोजित कार्यक्रम ‘लोकतंत्र का काला दिन’ के अवसर पर शाह ने कहा, यदि आप किसी व्यक्ति को वोट देते हैं तो आपातकाल फिर आ सकता है। यदि आप किसी विचारधारा और किसी पार्टी को वोट देते हैं तो आपातकाल कभी नहीं आयेगा। उन्होंने लोगों से कहा, जब आप इस बात के बारे में तय कर रहे होते हैं कि किस पार्टी को वोट देना है तो यह पता लगा लीजिये कि क्या उस पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र जीवित है या नहीं। जो दल वंशवाद के आधार पर चलाये जाते हैं, जो आने वाले दिनों में देश पर शासन कर सकते हैं तो आपातकाल की आशंका कभी खत्म नहीं होगी।
भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि आपातकाल न तो अध्यादेश के जरिये आता है और न ही यह परिस्थितियों की मजबूरी के कारण होता है बल्कि आपातकाल तानाशाही मानसिकता के जरिये आता है। शाह ने कहा, जिन्होंने अपनी पार्टी में आतंरिक लोकतंत्र समाप्त कर दिया है, एक परिवार के सदस्यों ने, मैं केवल एक पार्टी की बात नहीं कर रहा। देश में 1650 पार्टियों के जंगल में केवल दो या तीन दलों में आंतरिक लोकतंत्र अभी तक जीवित है तथा भाजपा उनमें से एक है। उन्होंने कहा कि केवल वही पार्टी आपातकाल की मानसिकता एवं तानाशाही से संघर्ष कर सकती है जिसके भीतर आतंरिक लोकतंत्र हो।
शाह ने कहा कि चूंकि देश ने बहुदलीय लोकतांत्रिक प्रणाली को स्वीकार किया है, यह आवश्यक हो जाता है कि केवल उन्हीं पार्टियों को काम करना चाहिए जिनमें आतंरिक लोकतंत्र अभी तक जीवित है, जहां अपने विचार व्यक्त करने की स्वतंत्रता है तथा जहां महत्वपूर्ण निर्णय उन कार्यकर्ताओं द्वारा किये जाते हैं जो पार्टी के सबसे निचले स्तर से आते हैं।



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