Wednesday 24 June 2015

स्मृति ईरानी मुश्किल में, कांग्रेस और आप ने साधा निशाना

  नई दिल्ली: मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी आज एक बड़ी मुश्किल में फंस गईं,जब दिल्ली की एक अदालत ने उनके चुनावी हलफनामे में शैक्षणिक योग्यता के बारे में कथित रूप से गलत जानकारी देने से जुड़ी एक शिकायत पर संज्ञान ले लिया, जिसके बाद कांग्रेस और आप ने उन्हें पद से हटाने की मांग कर डाली।
मामले की सुनवाई की तारीख 28 अगस्त मुकर्रर करते हुए मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट आकाश जैन ने कहा कि यह पाया गया है कि मौजूदा शिकायती मामला (समय) सीमा के तहत दाखिल किया गया है। संज्ञान लिया जाता है। मजिस्ट्रेट ने फ्रीलांस लेखक अहमर खान द्वारा दाखिल शिकायत पर अपने आदेश में कहा, ''मामले को समन पूर्व गवाही के लिए 28 अगस्त के लिए निर्धारित किया जाता है।
खान ने आरोप लगाया कि ईरानी ने लोकसभा और राज्यसभा के लिए अपनी उम्मीदवारी का पर्चा भरने के दौरान चुनाव आयोग में जो तीन हलफनामे दाखिल किए उनमें अपनी शैक्षणिक योग्यता के बारे में अलग अलग जानकारी दी। जन प्रतिनिधित्व कानून की धारा 125ए के तहत झूठा हलफनामा दाखिल करने पर छह साल तक की सजा अथवा जुर्माने अथवा दोनो का प्रावधान है।
इस घटनाक्रम के बाद कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने अपने सारे तीर ओ तलवार ईरानी की तरफ तानते हुए उनको हटाने की मांग कर डाली। इनका कहना था कि ईरानी को अदालत के फैसले के बाद अपने पद पर बने रहने का कोई नैतिक, संवैधानिक अथवा कानूनी अधिकार नहीं है।
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि यह तय है कि मानव संसाधन विकास मंत्री अपनी शिक्षा के बारे में ही झूठ बोल रही हैं। ऐसे में देश के लाखों ब'चों के भविष्य का क्या होगा। ईरानी को अपने पद पर एक दिन के लिए भी बने रहने का नैतिक, संवैधानिक अथवा कानूनी अधिकार नहीं है।उन्होंने कहा कि वर्ष 2004 में स्मृति ईरानी ने चांदनी चौक से अपनी उम्मीदवारी के समय जो हलफनामा दाखिल किया था उसमें कहा था कि वह दिल्ली विश्वविद्यालय से 1996 में कला संवर्ग में स्नातक की डिग्री रखती हैं। फिर 2011 में उन्होंने जब गुजरात से राज्यसभा के लिए पर्चा भरा तो उनके हलफनामे के अनुसार उन्होंने डीयू से 1994 में बी.कॉम किया था। पिछले वर्ष के लोकसभा चुनाव के दौरान अमेठी से भरे पर्चे में उन्होंने खुद को डीयू के स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग से बी. कॉम बताया। पूर्व कानून मंत्री जितेन्द्र तोमर के फर्जी डिग्री विवाद के कारण फजीहत झेल रही आम आदमी पार्टी ने भी मानव संसाधन विकास मंत्री को हटाने की मांग करते हुए कहा कि दो मानदंड नहीं हो सकते। आप के नेता आशुतोष ने कहा कि दो मापदंड नहीं हो सकते। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि वह न रिश्वत लेंगे और न ही औरों को लेने देंगे। उन्होंने यह भी कहा था कि वह न तो खुद भ्रष्टाचार करेंगे और न ही किसी को करने देंगे। कानून सबके लिए बराबर है, संविधान और लोकतंत्र सबके लिए बराबर है। अगर उन्हें लगता है कि तोमर को गिरफ्तार किया जाना चाहिए तो स्मृति ईरानी क्यों नहीं।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी प्रवक्ता अजय माकन ने भी आग में घी डालते हुए कहा कि अगर ईरानी इस्तीफा नहीं देती हैं तो प्रधानमंत्री को उन्हें हटा देना चाहिए क्योंकि उन्होंने चुनावी हलफनामों में अपनी शैक्षणिक योग्यताओं के बारे में गलत जानकारी दी है। मंत्री के बचाव में आगे आते हुए भाजपा ने ईरानी द्वारा दी गई कथित गलत शैक्षणिक जानकारियों को टाइपिंग की गलती करार दिया। पार्टी ने उनके और आप नेता जितेन्द्र तोमर के बीच किसी तरह की तुलना से इंकार किया। तोमर फर्जी डिग्री मामले में जेल में हैं।
भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने विपक्षी दलों द्वारा ईरानी की बर्खास्तगी की बढ़ती मांग के बीच कहा कि हर किसी को फर्जी दस्तावेज और टाइपिंग की गलती के बीच के अंतर को समझना चाहिए। सुरजेवाला ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि मोदी सरकार के शिक्षा मंत्रालय के दोनो मंत्रियों (मानव संसाधन विकास मंत्रालय में राज्य मंत्री) की डिग्री पर फर्जी होने का सवालिया निशान लगा है।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार शिक्षा को कैसे बढ़ावा देगी, जब उसके शिक्षा मंत्रियों की शैक्षणिक डिग्रियां ही सवालों के घेरे में हैं। स्वाभाविक रूप से कोई भी जांच होती है तो,डीयू एचआरडी मंत्रालय के तहत आता है, ऐसे में शिक्षा मंत्री के तौर पर वह निश्चित रूप से जांच की दशा और दिशा को प्रभावित कर सकती हैं।
आशुतोष ने कहा कि तोमर मामले में उन्होंने (दिल्ली पुलिस) उन्हें गिरफ्तार कर लिया। मुझे कोई कारण नजर नहीं आता कि स्मृति ईरानी को क्यों गिरफ्तार नहीं किया जाए। तोमर मामले में जैसे ही मामला आगे बढ़ा। आप ने उनसे इस्तीफा देने को कहा। क्या प्रधानमंत्री के तौर पर नरेन्द्र मोदी उनसे इस्तीफा देने के लिए कहेंगे। क्या दिल्ली पुलिस ईरानी को गिरफ्तार करेगी!


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